चिंता और चाह से परिपूर्ण हैं गीता सिंह की कविताएं

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प्रयागराज। शहर समता कार्यालय,कर्नल गंज में लोकरंजन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ,श्रीमती गीता सिंह द्वारा लिखित पुस्तक “कोठ की बांस” का लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नीना मोहन द्वारा माँ वीणा पाणि की वंदना से हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ कल्पना वर्मा ने इनकी कविताओं को इनकी आत्मस्वीकृति कहा। उन्होंने कहा कि इनकी कविताओं में देशज और तत्सम शब्दों का अद्भुत समन्वय है। उन्होंने काव्य संग्रह की कई कविताओं का जिक्र करते हुए इन्हें यथार्थ के धरातल की कविताएं बताया।
लेखिका गीता सिंह ने अपने संबोधन में काव्य संग्रह के शीर्षक की उपादेयता पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि प्रेमा राय ने इस काव्य संग्रह की कविताओं को भाव प्रधान बताया। मुख्य अतिथि डॉ रामजी मिश्र ने आग कविता के हवाले से कहा कि अंदर की आग कभी बुझने नही देनी चाहिए।कार्यक्रम का संचालन शहर समता के संपादक उमेश श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने गीता सिंह की कविताओं को गांव की सोंधी मिट्टी के समान बताया। इस अवसर पर गीतकार वीरेंद्र तिवारी और लेखक रंजन पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। लोकार्पण कार्यक्रम के बाद एक कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमे डॉ पूर्णिमा मालवीय,नीना श्रीवास्तव,सरिता श्रीवास्तव,समरपाल प्रयागी, मोहिनी,रेणु मिश्रा,शाम्भवी,डॉ मंजू प्रकाश,वीरेंद्र तिवारी,अभिषेक केसरवानी ‘रवि’,दीपशिखा,चेतना चितेरीआदि ने अपना काव्यपाठ किया।